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Tuesday, July 20, 2021

Tuesday, July 20, 2021

नेहरू इण्टर कालेज के पूर्व प्राध्यापक अब्दुल हई साहब की 72वर्ष की उम्र में देहान्त। उनके देहान्त से क्षेत्र में शोक का माहौल

 सिद्धार्थनगर-

 नेहरु इंटर कॉलेज, ककरहवा ,सिद्धार्थनगर 

के पूर्व प्राध्यापक  अब्दुल हई साहब का 72 साल की आयु में  मंगलवार शाम को निधन हो गया। पूर्व प्राध्यापक   लंबे समय से किडनी और स्वास्थ्य संबंधी अन्य समस्याओं से जूझ रहे थे। परिजनों ने बताया कि मंगलवार शाम में उनकी तबियत अचानक बिगड़ने लगी और जब तक अस्पताल ले जाने की  व्यवस्था करते तब तक देर हो चुकी थी और उनका देहान्त हो गया । उन्होंने अपने निवास स्थान मधुबनी खास , में अंतिम श्वांस  ली। दिवंगत अब्दुल हई साहब अपने पीछे तीन बेटे और 5 बेटियों का एक भरा-पूरा परिवार छोड़ गए। उनके बड़े पुत्र सलमान शाहिद भी विज्ञान के शिक्षक हैं, दूसरे पुत्र डॉ. फैजान शाहिद एनसीटी दिल्ली में कार्यरत हैं, जबकि सबसे छोटे पुत्र रैहान शाहिद दिल्ली में ही स्वतंत्र रूप से पत्रकारिता एवं वकालत करते हैं।

अब्दुल हई साहब का शिक्षा के क्षेत्र में अहम योगदान था। अपने कार्यकाल के दौरान उनके द्वारा शिक्षा को बढ़ावा देने वाले अनेक उल्लेखनीय कार्य किए गए थे।अब्दुल हई साहब जहां अपने विद्यार्थियों में लोक प्रिय थे वहीं इलाके के गणमान्य लोगों में उनका शुमार होता था । उन्होंने अपने आचरण और शिक्षा के क्षेत्र में दिए गए कार्यों से लोगों को प्रभावित  किया था ।वो एक अच्छे मुनष्य अच्छे शिक्षक और समाज के हित में सोचने वाले व्यक्ति  थे । अतः उनके निधन से क्षेत्र के आम जनमानस भी शोकाकुल है ।

Thursday, May 21, 2020

Thursday, May 21, 2020

ऑनलाइन स्टडी करने से बच्चों में मायोपिया होने का खतरा ज्यादा- डॉ०आजाद अली इदरीसी

सिद्धार्थनगर -

इस महामारी में तमाम शैक्षिक संस्थाएं  इस समय बच्चों को ऑनलाइन क्लास करने की व्यवस्था दे रहे हैं। ऐसे मे बच्चों में आंखो से जुड़ी शोर्ट-साइटिडनेस की बीमारी 'मायोपिया' इतनी तेजी से बढ़ रही है कि विशेषज्ञों ने इसका नाम 'स्कूल मायोपिया' रखा है। आपको जानकर हैरानी होगी कि मायोपिया के कारण आपके बच्चों के आंखों की रोशनी हमेशा के लिए भी जा सकती है। आइए हम...
बच्चों के जरूरी है कि वह पढ़ाई और खेल-कूद में एक संतुलन बनाए रखें। ऐसे में अगर आपके बच्चे लगातार पढ़ाई कर रहे हैं या इंडोर गेम्स खेल रहे हैं, तो उनके आंखों की रोशनी जा सकती है। ये बात हम नहीं कह रहे बल्कि हाल ही में हुई एक स्टडी बता रही है। इस स्टडी की मानें तो रोजाना दो घंटे घर के बाहर, नेचुरल लाइट में नहीं रहने वाले बच्चे दृष्टिहीन हो सकते हैं। दरअसल लगातार स्क्रीन के सामने बैठे रहने और किताबों से चिपके रहने के कारण बच्चों में 'स्कूल-मायोपिया' नाम की आंखों से जुड़ी बीमारी फैल रही है। शोधकर्ताओं के अनुसार, बच्चों और युवाओं में यह 'स्कूल मायोपिया' एक महामारी की तरह फैल रही है। ऐसा सिर्फ इसलिए हो रहा है क्योंकि वह बचपन से ही एक गलत जीवनशैली के आदि हो गए हैं। शोधकर्ताओं की मानें तो बच्चों में कम उम्र में दृष्टिहीनता की परेशानी बढ़ रही है और जैसे-जैसे वह बड़े होंगे, परेशानी बढ़ेगी और वे पूर्ण रूप से अंधे हो सकते हैं।वहीं कुछ विशेषज्ञों के अनुसार, लगभग 2050 तक लगभग 50 प्रतिशत लोग इस मायोपिया के शिकार हो सकते हैं।

Monday, January 13, 2020

Monday, January 13, 2020

छात्रों की समस्या दूर नहीं हुई तो आंदोलन तय- छात्र नेता शाह मोहम्मद खान


कपिलवस्तु, सिद्धार्थनगर -सिद्धार्थ विश्वविद्यालय कपिलवस्तु सिद्धार्थनगर के एमकाम प्रथम समेस्टर के छात्र एवं छात्र नेता शाह मोहम्मद खान ने रविवार को अपने आवास पर प्रेस कांफ्रेंस कर जानकारी दी कि 22 अगस्त 2019 को कुलसचिव को छात्रावास के लिए ज्ञापन दिया गया था तथा यह भी ज्ञापन में अवगत कराया गया था कि यदि 2 सितम्बर तक उनको छात्रावास नही उपलब्ध कराया जाता है तो उनके द्वारा धरना प्रदर्शन किया जाएगा। जिसके क्रम में 2 सितम्बर 2019 को धरना दे रहे एवं नारे बाजी कर रहे उनके एवं उनके साथियों के विरुद्ध कार्यवाही की गई थी। शाह मोहम्मद ने आरोप लगाया है कि जब हम लोगो ने छात्र हित के लिये आवाज उठाई तो विश्वविद्यालय सिद्धार्थ विश्वविद्यालय कपिलवस्तु सिद्धार्थनगर के एमकाम प्रथम समेस्टर के छात्र एवं छात्र नेता शाह मोहम्मद खान ने रविवार को अपने आवास पर प्रेस कांफ्रेंस कर जानकारी दी कि 22 अगस्त 2019 को कुलसचिव को छात्रावास के लिए ज्ञापन दिया गया था तथा यह भी ज्ञापन में अवगत कराया गया था कि यदि 2 सितम्बर तक उनको छात्रावास नही उपलब्ध कराया जाता है तो को उनके द्वारा धरना प्रदर्शन किया जाएगा। जिसके क्रम में 2 सितम्बर 2019 को धरना दे रहे एवं नारे बाजी कर रहे उनके एवं उनके साथियों के विरुद्ध कार्यवाही की गई थी। शाह मोहम्मद ने आरोप लगाया है कि जब हम लोगो ने छात्र हित के लिये आवाज उठाई तो विश्वविद्यालय प्रशासन ने कार्यवाही कर दिया और अब जब बाहरी एबीवीपी के कार्यकर्ता जो विश्वविद्यालय के छात्र भी नही है वो लोग 11 जनवरी को भारी संख्या में आकर विश्वविद्यालय परिसर में धरना प्रदर्शन करते हैं। जिसके खिलाफ विश्वविद्यालय द्वारा कोई कार्यवाही नही किया जा रहा है, जिससे यह प्रतीत होता है कि इस संगठन को विश्वविद्यालय में बढ़ावा देने के लिए विश्वविद्यालय प्रशासन की सहमति प्राप्त है। ऐसे में यदि यही हाल विश्वविद्यालय प्रशासन का रहा तो वह दिन दूर नही की जब यह विश्वविद्यालय जेएनयू न बन जाये। विश्वविद्यालय प्रशासन इस विश्वविद्यालय को जेएनयू के आग के तरफ धकेलने में लगी है जिससे हम छात्रों की पढ़ाई प्रभावित हो रही है यदि ऐसे बाहरी तत्वों के खिलाफ  विश्वविद्यालय प्रशासन यदि कोई कार्यवाही नही करता है तो हम अपने सहयोगी छात्रों के साथ विश्वविद्यालय में पुनः धरने पर बैठेंगे जिससे सिद्धार्थ विश्वविद्यालय को जेएनयू की आग से बचाया जा सके। ने कार्यवाही कर दिया और अब जब बाहरी एबीवीपी के कार्यकर्ता जो विश्वविद्यालय के छात्र भी नही है वो लोग 11 जनवरी को भारी संख्या में आकर विश्वविद्यालय परिसर में धरना प्रदर्शन करते हैं। जिसके खिलाफ विश्वविद्यालय द्वारा कोई कार्यवाही नही किया जा रहा है, जिससे यह प्रतीत होता है कि इस संगठन को विश्वविद्यालय में बढ़ावा देने के लिए विश्वविद्यालय प्रशासन की सहमति प्राप्त है। ऐसे में यदि यही हाल विश्वविद्यालय प्रशासन का रहा तो वह दिन दूर नही की जब यह विश्वविद्यालय जेएनयू न बन जाये। विश्वविद्यालय प्रशासन इस विश्वविद्यालय को जेएनयू के आग के तरफ धकेलने में लगी है जिससे हम छात्रों की पढ़ाई प्रभावित हो रही है यदि ऐसे बाहरी तत्वों के खिलाफ  विश्वविद्यालय प्रशासन यदि कोई कार्यवाही नही करता है तो हम अपने सहयोगी छात्रों के साथ विश्वविद्यालय में पुनः धरने पर बैठेंगे जिससे सिद्धार्थ विश्वविद्यालय को जेएनयू की आग से बचाया जा सके।

Monday, February 11, 2019

Monday, February 11, 2019

शिक्षण संस्थान श्री सिद्ध लुम्बिनी इंग्लिश हाईस्कूल में धूमधाम से मनाया गया सरस्वती पूजा।

चन्द्रकेश पटेल/ दीपक कलवार।-की रिपोर्ट


ककरहवा (लुम्बिनी)। भारत नेपाल सीमा के मित्र राष्ट्र नेपाल के भगवान गौतम बुद्ध की जन्मस्थली लुम्बिनी बिकास क्षेत्र के अन्तर्गत आने वाले गैड़हवा गाउँपालिका वार्ड न3 मंगलपुर के श्री सिद्ध लुम्बिनी इंग्लिश हाईस्कूल के प्रांगण में बड़े ही हर्षोल्लास से सरस्वती पूजन का आयोजन किया गया। इस दौरान विद्यालय के प्रबधक,नन्दलाल चौहान ने बच्चों को सरस्वती पूजा की महत्ता को बताई गई। क्षेत्र के विद्यालय श्री सिद्ध लुम्बिनी इंग्लिश हाईस्कूल में पूरा विधि विधान से माँ सरस्वती को पुष्प अर्पित कर सरस्वती पूजन किया गया। एवं उपस्थित सारे बच्चों और अभिभावको को मिठाई से जल पान कराया गया। और बच्चों द्वारा नृत्य कार्यक्रम का आयोजन का मंचन भी किया गया जिसमे बच्चों द्वारा अलग अलग कृत्यां प्रस्तुत की गई, जिससे पूरा माहौल भक्तिमय हो उठा।
इस अवसर पर प्रधानाचार्य नन्दलाल चौहान,सहायक सुबाष लोध,रामसजन चौहान,राहुल चौहान,सुनील चौहान सहित शिक्षक एवं शिक्षीकायें आदि लोग शामिल रहे।

Thursday, January 31, 2019

Thursday, January 31, 2019

सेवानिवृत एस.आई.श्री लाल जी को समारोह आयोजन कर दी गयी भावभीनी विदाई

शैलेष कुमार सोनकर 
जनपद सिद्धार्थनगर के मोहाना थाना में तैनात एस.आई.श्री लाल जी के  नौकरी कार्यकाल  से सेवानिवृत होने पर  मोहाना थानाध्यक्ष श्री आलोक कुमार श्रीवास्तव नें विदाई समारोह का आयोजन किया ।
आज मोहाना थाना से दो लोग सेवानिवृत हुए हैं , एस.आई.लाल जी एवं रामबरन यादव ।
इस मौके पर एस.आई.अजय यादव , सूर्यपाल सोनकर , नत्थुलाल , रामभवन पासवान , सिपाही दिनेश यादव , हरीकेश यादव , मुंशी रामहरि एवं थाना के पुलिस कर्मियों द्वारा इन्हे अंगवस्त्र ,किताब , मिठाई एवं फूल मालाएं पहनाकर कर सम्मानित किया गया । इस विदाई समारोह के दौरान थानाध्यक्ष आलोक कुमार श्रीवास्तव जी नें कहा कि इनके साथ मुझे काम करने के लिए लम्बा समयतक मौका  मिला । इनकी कार्यक्षमता एवं कार्यकुशलता से मैं बेहद प्रभाभित रहा । इनके सेवानिवृत होने का मुझे बेहद अफसोस है , लेकिन एक सरकारी सेवक को एक न एक दिन इस घड़ी से गुजरना पड़ता है । थाना परिवार के साथ साथ क्षेत्र के लोगों से विदाई लेते हुए एस.आई.लाल जी मार्मिक होते हुए कहा कि थाना मोहाना के सभी लोगों के साथ मेरा अच्‍छा लगाव रहा, इस क्षेत्र के लोगों ने हमें अथाह स्‍नेह और सम्‍मान दिया। अब यहां से विदाई लेकर जा रहा हूँ। लेकिन यहां की भूमि नहीं भूलूंगा बाकी बचे समय अपने परिवार के साथ बिताऊंगा। 

Tuesday, January 29, 2019

Tuesday, January 29, 2019

परिवार का गुजारा करने के लिए खतरों का करतब दिखाती छोटी बच्ची।

चन्द्रकेश पटेल (संवाददाता)-
ककरहवा। भारत नेपाल सीमा के सटे पडोसी राष्ट्र नेपाल के कालीदह बॉर्डर पर अपना और अपने परिवार का पेट पालने के लिए खतरों का भी सामना करने में नहीं चूकि छोटी बच्ची।
बुद्धवार को ककरहवा बॉर्डर पार नेपाल में एक चार साल की बच्ची का करतब देखकर लोग दंग रह गए। जिसमे बच्ची मात्र एक रस्सी पर खड़ा होकर उसी पर बिभिन्नन प्रकार की खेल दिखाती हुई दिखी। जिसमे बिना हाथ लगाये सारे करतब दिखाई और लोगों का मन मोह लिया । और वहीँ बॉर्डर होने की वजह से वहाँ पर भारी भीड़ दिखाई पड़ी जिसमे लोगों ने बच्ची को पैसे भी दिए जिससे वो अपने परिवार का खर्च चला सके। जिस उम्र में बच्ची को स्कूल का दरवाजा देखना चाहिए पर घर की स्थिति ठीक न होने से वह पढ़ न सकी उसे खतरों जैसा खेल खेलने के लिए मजबूर होना पड़ा ।और वहीं अपने परिवार का भरण पोषण करने में जुट गयी ए छोटी बच्ची। और वहीं दूसरी तरफ सूबे की सरकार जहाँ परिषदीय विद्यालयो पर शिक्षा पर जोर दे रहे है और साथ साथ केंद्रीय सरकार बेटी पढ़ाओ बेटी बचाओ का जागरूकता अभियान चला रही है। तो इसकी एक झलक ककरहवा के कालीदह बॉर्डर पर एक बच्ची गरीबी से मजबूर होकर सरकार के इस अभियान को चाह कर भी नहीं ले पा रही है । उसके सामने मज़बूरी हैं उसका परिवार। ऐसे हजारो लोग खतरों का खेल खेलने पर मजबूर है और वहीं सरकार इस पर कोई ठोस कदम नहीं उठा रही है।

Monday, January 21, 2019

Monday, January 21, 2019

बुधवार से गायब चालीस वर्षीय व्यक्ति क़ी लाश नदी में मिली

(फाइल फोटो रामबेलास )
जनपद सिद्धार्थनगर के  मोहाना थाना क्षेत्र के ग्राम गढ़मोर से सटे कूड़ा नदी से सोमवार की सुबह पुलिस ने एक शव बरामद किया है। शव की पहचान मोहाना थाना क्षेत्र के गढ़मोर निवासी रामबेलास पुत्र दयाराम उम्र 40वर्ष  के रूप में हुई।
ज्ञात हो कि 16 जनवरी दिन  बुधवार की सुबह से मृतक रामबेलास अपने घर से शौच के लिए निकला था और वापस नहीं लौटा।  जिसकी परिजनो ने काफी खोजबीन किया परन्तु कही पता नहीं चला था और थक हार कर घर वालो ने मोहाना  पुलिस को गुमसुदगी की सूचना दी। जिसपर पुलिस लगातार राम बेलास की तलाश कर रही थी और कई जगह उसका पोस्टर भी लगा दी थी। परन्तु कहीं से कोई सुराग नहीं मिला । आखिरकार सोमवार की सुबह कूड़ा नदी जल में रामबेलास की उतराई लाश मिली।
मृतक रामबेलास पुत्र गल्ला व्यापारी था। गांवों में घूमकर लोगों से गल्ला खरीद कर बेचने का कार्य करता था और इसी से अपने परिवार वालो का भरण पोषण करता था । मृतक के  चार बच्चे हैं। पत्नी मीरा देवी सहित परिजनों का रो रो कर बुरा हाल है।इस घटना से पूरे क्षेत्र में कौतूहल मचा हुआ है । एक तरफ जहां परिवार वालो का हाल बुरा है तो वहीं पूरे गांव में मातम छाया हुआ है ।  सूचना पर पहुंची थाना मोहाना पुलिस शव को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए जिला चिकित्सालय भेज दिया। मोहाना थानाध्यक्ष  आलोक कुमार श्रीवास्तव ने बताया कि शव को कब्जे में कर पोस्टमार्टम के लिए भेजा गया है। पोस्टमार्टम रिपोर्ट आने के बाद  सत्यता सामने आएगी कि रामबेलास क़ी मृत्यु कब और कैसे हुई है । 
Monday, January 21, 2019

नहीं रहे लिंगायत समुदाय के प्रतिष्ठित संत सिद्दागंगा 111 साल की उम्र में निधन

लिंगायत समुदाय के प्रतिष्ठित संत सिद्दागंगा का सोमवार को 111 साल की उम्र में निधन हो गया। सिद्दागंगा पिछले कुछ दिनों से बीमार से चल रहे थे और उनका इलाज चल रहा था। सिद्दागंगा लिंगायत समुदाय में पूजनीय थे। वह सिद्दागंगा मठ के प्रमुख भी थे। उनका समाज के सभी वर्गों पर प्रभाव था। यहां तक सभी दलों के राजनेता उनका आशीर्वाद प्राप्त करते थे।

मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक मठ में उनका इलाज करने वाले डॉक्टरों का कहना है कि स्वामी फेफड़े के संक्रमण से पीड़ित थे और उन्हें वेंटिलेटर पर रखा गया था। स्वामी की तबीयत में रविवार को थोड़ा सुधार आया था लेकिन सोमवार सुबह उन्हें दिक्कत होने लगी जिसके बाद उन्हें वेंटिलेटर पर रखा गया।

सिद्दारमैया के निधन का समाचार मिलते ही पूरे राज्य में शोक की लहर फैल गई। मुख्यमंत्री एचडी कुमारस्वामी, पूर्व मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा सहित बड़ी संख्या में राजनीतिक दलों के नेता अपने कार्यक्रम स्थगित कर दिवंगत स्वामी के अंति दर्शन के लिए पहुंचे। तुमाकुरु शहर के बाहरी इलाके में स्थित मठ में बड़ी संख्या में सिद्दागंगा के भक्त, अनुयायी और राजनेताओं के पहुंचने का सिलसिला जारी है।


Thursday, January 10, 2019

Thursday, January 10, 2019

मेराज़ मुस्तफा : एक ऐसा नाम जिसे लोग अब कहने लगे हैं लफ़्जों का जादूगर

 हर शख़्स के पहचान का एक जरिया होता है जो ताउम्र उसके नाम के साथ जुड़ जाता है लेकिन बुद्ध भूमि का एक लाल ऐसा भी है जिसके पहचान के लिए अब एक नही कई नाम जुड़ गए हैं जिसको आप ग्राम प्रधान भी कह सकते हैं या प्रवक्ता प्रधान संघ भी कह लीजिए जर्नलिस्ट भी कहिए सतम्भकर , लेखक कहिए या युवा रचनाकार कहकर सम्बोधित करिए या फिर हिन्दी साहित्य उर्दू अदब का कवि / शायर कह लीजिए सब एक ही व्यक्ति के लिए प्रयोग कर सकते हैं। जी हां व्यक्ति एक और सम्बोधन के लिए पहचान का जरिया अनेक यह सभी बुद्ध भूमि के उस लाल के प्रयुक्त होता है जिसे सारा देश मेराज़ मुस्तफा के नाम से जानता है । मेराज़ मुस्तफा यह नाम सारे देश के प्रबुद्ध वर्ग से लेकर साहित्यकार व पत्रकारिता जगत के लिए नया नही है क्योंकि शायद ही कोई ऐसा व्यक्ति हो जो साहित्य या पत्रकारिता जगत से जुड़ा हो और इस नाम से वाकिफ न हो क्योंकि देश के उच्च कोटि के साहित्यकारों से लेकर पत्रकारिता जगत के दिग्गजों के आशीर्वाद का भागीदार बन चुका है और उन सभी के दिलों में एक विशिष्ट स्थान प्राप्त करके समा गया है । कुछ समय पहले तक युवा ग्राम प्रधान के रूप में अपनी पहचान बनाने वाले सिद्धार्थनगर के युवा ग्राम प्रधान मेराज़ मुस्तफा अब अपनी कलम के जरिए इस मुकाम तक पहुंच चुके हैं जो किसी स्वप्न से कम नही लगता लेकिन इस मुकाम तक पहुंचने तक का सफर भी आसान कतई नही रहा क्योंकि किसी भी क्षेत्र में सफलता के उच्च शिखर तक पहुंचना कोई मामूली बात नही होती उसके पीछे छुपी होती है कड़ी मेहनत व संघर्ष जिसे सिर्फ वही व्यक्ति जान सकता है जिसने इसे पार करके आज एक विशिष्ट पहचान बनाई है । सिद्धार्थनगर के युवा रचनाकार मेराज़ मुस्तफा की कलम से निकले लेख लोगों के दिलों में जो छाप छोड़ रहे वह वाकई काबिल-ए-तारीफ है तभी तो मेराज़ मुस्तफा के लेख को पढ़ने वाले पाठक उन्हें लफ़्जों के जादूगर खिताब से नवाज चुके हैं। उत्तर प्रदेश सहित देश के लगभग सभी प्रदेशों से मेराज़ मुस्तफा के लेख पढ़ने वाले पाठकों की प्रतिक्रिया कुछ यूं मिल रही जैसे कोई साहित्यकार वर्षों के अनुभव के आधार पर इतनी बेहतरीन लेखों व रचनाओं को लफ़्जों की माला में पिरो रहा हो। इस विषय में जब हमारे सवांददाता ने सिद्धार्थनगर के युवा रचनाकार मेराज़ मुस्तफा से दूरभाष के जरिए वार्ता करने के लिए संपर्क किया तो मेराज़ मुस्तफा ने कहा बैंक में आवश्यक कार्य करवा रहे इसलिए बाद में बात करें तो बेहतर है जिसपर हमारे संवाददाता ने साक्षात्कार हेतु बात करने का समय मांगा तो युवा रचनाकार मेराज़ मुस्तफा ने कहा सांय सात बजे के बाद कभी भी बात कर सकते हैं । हमारे संवाददाता ने मेराज़ मुस्तफा के इतने खुले जवाब की प्रशंसा करते हुए कहा कि आपसे बात करके बेहद प्रसन्नता हुई कि आपने स्पष्ट जवाब दिया इसलिए मैं आपसे आपके द्वारा बताए गए समय पर ही वार्ता करने की कोशिश करूंगा । बहरहाल मेराज़ मुस्तफा ने जिस तरह साहित्य व पत्रकारिता जगत में इतने कम समय में विशिष्ट पहचान व स्थान बनाया है वह बेहद सराहनीय है ।

Saturday, January 5, 2019

Saturday, January 05, 2019

डुमरियागंज विधायक को आया हर्ट अटैक, खतरे से बाहर

जनपद सिद्धार्थनगर के विधानसभा डुमरियागंज के विधायक राघवेन्द्र प्रताप सिंह को हार्ट अटैक आने से उनकी हालात खराब हो गयी है आनन फानन में उन्हें पी जी आई लखनऊ  में भर्ती कराया गया है ।
 डुमरियागंज विधायक को एक सभा मे हार्ट अटैक आया है । उनका ईलाज चल रहा है । मौके पर मुख्यमन्त्री योगी आदित्यनाथ पहुंच चुके हैं । अब वो खतरे से बाहर हैं । डुमरियागंज विधायक हिन्दू युवा वाहिनी के एक कद्दावर पदाधिकारी हैं ।

Tuesday, December 25, 2018

Tuesday, December 25, 2018

मौला मेरे नेअमतें अता कर या न कर मगर अना को मेरी कभी माजूर न करना

सिद्धार्थनगर के युवा रचनाकार मेराज़ मुस्तफा ने बहुत ही कम समय में साहित्यिक व पत्रकारिता जगत में अपनी एक विशिष्ट पहचान बनाई। इटवा तहसील क्षेत्र के रेहरा उर्फ भैसाही निवासी मेराज़ मुस्तफा ने बेहद ही कम समय में साहित्यिक व पत्रकारिता जगत में एक ऐसा मुकाम हासिल किया जो कुछ लोग वर्षों की मेहनत के बाद भी नही कर पाते।रेहरा उर्फ भैसाही निवासी मेराज़ मुस्तफा जर्नलिस्ट व लेखक व शायर होने के साथ ही अपने ग्रामसभा के ग्राम प्रधान भी हैं जो कि जनपद के सबसे कम उम्र के ग्राम प्रधानों में से एक हैं। महज तेईस वर्ष की आयु में ग्राम प्रधान चुने जाने वाले मेराज़ मुस्तफा उत्तर प्रदेश ग्राम पंचायती राज संगठन में प्रवक्ता होने के अतिरिक्त एक हिंदी दैनिक समाचार पत्र व कई महत्वपूर्ण न्यूज वेब पोर्टल में बतौर सीनियर जर्नलिस्ट भी कार्य कर रहे। आज आपके समक्ष पेश हैं मेराज़ मुस्तफा के काव्य संग्रह "अधूरे ख्वाब भरे किरदार" की कुछ रचनाएं-

वही लोग जो कल तक पढ़ते थे कसीदे तेरी शान में,
क्यूं आज उनकी नजरों में तू बेहद खराब लगता है।

कर दिया इजाफा दौलत-ओ-शोहरत में बेहिसाब पल भर में उसने,
उसकी नवाजिशों का अदा कर शुक्र सबको बुरा मेरा यह जवाब लगता है।

चल यहां से कहीं दूर चलें कि रास्ता ही भटक जाएं उम्र भर के लिए,
मुस्कुरा कर मेरी बात पर कहा उसने तू तो इश्क़ में बर्बाद लगता है।

छोटी हों या बड़ी हसरतें कभी भी किसी की गैर मुनासिब पूरी न करना,
खुदा मेरे यह दुनिया है यहां गरीब को अमीर अमीर को गरीब अजाब लगता है।

उम्मीद वो भी इस मक्कार दुनियां से करते हो तुम भलाई की,
लोग तो ऐसे हैं यहां 'मेराज़' कि तुम पानी भी पियो तो सबको शराब लगता है।

इस पंक्तियों के अतिरिक्त वर्तमान हालात पर मेराज़ मुस्तफा की यह पंक्तियां बिल्कुल सटीक बैठती हैं -

सुना है फिर से कोई नया फरमान आने वाला है,
मेरे खुदा क्या फिर यहां कोई तूफान आने वाला है।

बांटकर धर्म मजहब में चमका ली लोगों ने अपनी सियासी दुकान,
कह दिया श्री राम ने भी अब नही कोई हनुमान आने वाला है।

मन्दिर - ओ - मस्जिद करते - करते सदियां बीत जाएंगी,
मगर अब पैगम्बर - ए - खुदा न ही श्रीराम जैसा भगवान आने वाला है।

इश्क़ है वतन की मिट्टी से तो कुछ यूं कर जा 'मेराज़' कि,
लोग हिन्दू - मुस्लिम भूलकर कहें यही मेरे हिन्दुस्तान वाला है।

मेराज़ मुस्तफा की यह रचना देश व समाज को सियासी रूप से बांटने वालों पर कड़ा प्रहार करती है।युवा रचनाकार की कलम से निकले हर एक रचनाओं में कोई न कोई संदेह छिपा होता है। मेराज़ मुस्तफा के काव्य संग्रह में दो सौ चालीस रचनाओं का बेहतरीन संगम है एवं हर एक रचना दिल को झकझोर देती हैं। युवाओं के पसंदीदा विषय मोहब्बत पर आधारित रचनाएं मोहब्बत व ईश्वर की इबादत के बीच के फर्क को दर्शाती हैं तो मेराज़ मुस्तफा की किसी रचना में मोहब्बत और प्यार पर भी उंगली भी उठाती हैं कि किस तरह प्यार व मोहब्बत के नाम पर लोगों के जज्बातों से खेल खेला जाता है।

करते हो मोहब्बत तो उसको यूं कभी मशहूर न करना,
करके इकरार सरेआम मोहब्बत को कभी रन्जूर न करना।

दीदार - ए- यार के लिए तड़प रहीं यह आँखें कबसे,
 कि दुश्मन-ए- जां अब आ भी जा जख्मों को मेरे नासूर न करना।

ज्यादा नवाजिशे भी नही ठीक हर शय के लिए इतना,
दुआ है अल्लाह मेरे अपनों को कभी मगरूर न करना।

उस बेवफा को पाने की चाह में तुझको भी भूल जाऊँ,
इक बेवफा के लिए देकर मोहब्बत मुझे खुद से कभी दूर न करना।

मोहताज कभी दूसरों का बनाकर न रखना 'मेराज़' को अपने सिवा,
मौला मेरे नेअमतें अता कर या न कर मगर अना को मेरी कभी माजूर न करना।

ऐसी ही रचनाओं से सुसज्जित मेराज़ मुस्तफा के काव्य संग्रह की अन्य कुछ रचनाओं को पढ़ने के बाद ऐसा लगा कि हम किसी युवा एवं बेहद कम समय में साहित्यिक जगत में कदम रखने वाले रचनाकार की नही बल्कि किसी उच्च कोटि के रचनाकार के समक्ष बैठकर उनकी रचनाओं को पढ़ रहे। मेराज़ मुस्तफा की रचनाओं को पढ़कर होने  वाले एहसास को लफ्जों में बयान करना भी मुश्किल हैयुवा रचनाकार मेराज़ मुस्तफा को उनके अतिशीघ्र प्रकाशित होने वाले काव्य संग्रह की अग्रिम बधाई एवं शुभकामनाएं। ईश्वर इस युवा रचनाकार मेराज़ मुस्तफा पर अपनी कृपा बनाए रखें यही कामना है।
Tuesday, December 25, 2018

महज दो वर्ष ग्यारह माह की उम्र में नन्ही सृष्टि बनी फेस ऑफ फरीदाबाद , चित्रकला से लेकर रैंपवॉक के लिए प्राप्त कर चुकी हैं दर्जनों अवॉर्ड

मेराज़ मुस्तफा की विशेष रिपोर्ट 

कहते हैं बेटियां ईश्वर का वरदान होती हैं जिन घरों में बेटियां न हों वहां ईश्वर की कृपादृष्टि नही पड़ती फिर भी इस सभ्य समाज में उन्हीं बेटियों को कुछ लोग अभिशाप मानते हैं बिना इस बात की कल्पना किए कि बेटी के बगैर सृष्टि का अस्तित्व कभी हो ही नही सकता और ऐसी मनोवृत्ति वाले लोगों के लिए एक मिसाल बनी हैं फरीदाबाद हरियाणा की रहने वाली नन्ही सृष्टि गुलाटी ने जिसने महज दो वर्ष ग्यारह माह की अल्पायु में ही अपनी प्रतिभा को सबके सामने प्रदर्शित किया तो लोग हैरतअंगेज रह गए। हरियाणा का नाम आते ही सर्वप्रथम जेहन में एक ही विचार आता है कि यह वो जगह है जहां बेटियों को किसी अभिशाप से कम नही समझा जाता लेकिन फरीदाबाद के रहने वाले श्री प्रवीण गुलाटी व श्रीमती प्रिया गुलाटी के अनुसार उनके लिए उनकी बेटी सृष्टि किसी ईश्वरीय वरदान से कम नही है। ऐसी सकारात्मक सोच यदि सभी के अंदर आ जाए तो हमें बेटी पढ़ाओ बेटी बचाओ जैसे नारे भी नही देने पड़ेंगे लेकिन अफसोस कि जिस बेटी में देवी का रूप देखा जाता है उसी बेटी को कपितय लोग अभिशाप मानते हैं बिना यह सोचे कि उन्होंने जिस कोख से  जन्म लिया वह भी एक बेटी ही थी जिसने बेटी से पत्नी और पत्नी से माँ तक का सफर तय करते हुए उन्हें इस दुनियां में आँख खोलने का मौका दिया।
फरीदाबाद के श्री प्रवीण गुलाटी व श्रीमती प्रिया गुलाटी की इकलौती सन्तान नन्ही सृष्टि ही है लेकिन अपने नाम के अनरूप वह अपने माता-पिता के लिए सम्पूर्ण सृष्टि के समान है और हो भी क्यों न जब माँ सरस्वती के रूप में स्वयं सभी देवियों का वास इस नन्ही बच्ची में समाहित है।
मात्र दो वर्ष ग्यारह माह की छोटी सी उम्र में सृष्टि गुलाटी ने नृत्यकला में ऐसे पारंगत तरीके से अपने कदमों को थिरकाती है जैसे कोई वर्षों का प्रशिक्षण प्राप्त अनुभवी नृत्यांगना हो तो वहीं जब सृष्टि के हाथों में पेंटिंग का ब्रश आ जाता है तो किसी माहिर चित्रकार की तरह अपने हाथों से बनाई तस्वीरों में प्राण फूंक देती है। सृष्टि गुलाटी ने महज इतनी कम उम्र में ही रैंपवॉक , परिधान कला प्रदर्शन , नृत्यकला , चित्रकारी के जरिए दर्जनों अवॉर्ड जीतकर सार्टिफिकेट प्राप्त किया। इस विषय में सृष्टि के पिता श्री प्रवीण गुलाटी ने जर्नलिस्ट मेराज़ मुस्तफा से बात करते हुए बताया कि सृष्टि में यह सारी खूबियां ईश्वरीय देन ही है वरना इतनी कम आयु में विभिन्न कला क्षेत्रों में अपनी उत्कृष्टता का परिचय देना हर किसी के बस की बात नही। श्री प्रवीण गुलाटी ने आगे बात करते हुए कहा कि सृष्टि के रूप में ईश्वर ने उन्हें व उनकी पत्नी श्रीमती प्रिया गुलाटी को संसार का सबसे अनमोल तोहफा दिया है। सृष्टि गुलाटी के नन्हे कदम यहीं नही रुके और विद्यालय स्तर पर आयोजित ओलम्पिक में सभी प्रतिस्पर्धाओं में भाग लेते हुए सभी प्रतियोगिताओं में रनरअप रहते हुए एक अद्भुत रिकॉर्ड बनाया जो कि तीन वर्ष से भी कम उम्र के बच्चों के लिए लगभग असम्भव ही होता है। सृष्टि गुलाटी द्वारा प्रतिभाग किए गए अब तक सभी प्रतियोगिताओं में सबसे कम उम्र की प्रतिभागी होने का अद्भुत रिकॉर्ड भी फरीदाबाद की इस नन्ही बच्ची के नाम है। सृष्टि को बीते नवम्बर माह में कैलाश धाम सेवा ट्रस्ट द्वारा बेस्ट टू बेस्ट अवॉर्ड से नवाजा गया जिसपर सृष्टि के पिता प्रवीण गुलाटी ने जर्नलिस्ट मेराज़ मुस्तफा से फोन पर बात करते हुए बताया कि उनकी बेटी किसी प्रतिस्पर्धा में विनर रही हो या रनरअप उससे कोई फर्क नही पड़ता मुझे खुशी इस बात की है कि ईश्वर ने सृष्टि के रूप में हमारे परिवार को जो अनमोल वरदान दिया है उसको शब्दों में बयान नही किया जा सकता। सृष्टि द्वारा हासिल किए गए उपलब्धियों के बारे में बात की जाए तो बात जल्दी खत्म ही नही होगी बस ईश्वर सृष्टि पर इसी तरह अपनी कृपा बनाए रखें ताकि फरीदाबाद की यह नन्ही परी आगे चलकर सम्पूर्ण विश्व में भारत का नाम रोशन करे।
Tuesday, December 25, 2018

उम्मीद नही थी कि मैं भी कभी कुछ लिख सकता हूं : मेराज़ मुस्तफा

सिद्धार्थनगर : जनपद के सबसे अतिविशिष्ट माने जाने वाले इटवा विधानसभा क्षेत्र के रेहरा उर्फ भैसाही निवासी युवा ग्राम प्रधान व प्रवक्ता प्रधान संघ के अतिरिक्त पत्रकारिता के क्षेत्र में कार्य कर रहे मेराज़ मुस्तफा पिछले कुछ महीनों से अपने द्वारा विभिन्न विषयों पर लिखे गए लेख व काव्य संग्रह की वजह से चर्चा में हैं और हो भी क्यों न क्योंकि मेराज़ मुस्तफा द्वारा लिखे गए लेख व काव्य संग्रह के लिए रचनाओं के माध्यम से जो छाप छोड़ रहे उसकी सराहना वरिष्ठ साहित्यकारों से लेकर पत्रकारिता जगह व प्रबुद्ध वर्ग के लोग करते नही थक रहे। इटवा तहसील क्षेत्र के खुनियांव विकास खण्ड अंतर्गत आने वाले ग्राम पंचायत रेहरा उर्फ भैसाही के युवा ग्राम प्रधान मेराज़ मुस्तफा से इस विषय में बात करने के लिए सिद्धार्थनगर ब्यूरो चीफ सत्येन्द्र उपाध्याय ने मंगलवार को मेराज़ मुस्तफा से मुलाकात कर उनके द्वारा लिखे गए लेखों , गजल , कविताओं आदि के बारे में विस्तार से चर्चा की। जिसपर बात करते हुए युवा रचनाकार मेराज़ मुस्तफा ने बताया कि किस भी विषयवस्तु पर कुछ भी लिखना आसान नही होता इसीलिए मैंने कभी कल्पना भी नही की थी कि मैं लेख ,गजल या कविता भी लिख सकता हूं मगर ग्राम प्रधान बनने के कुछ समय बाद ही शारिरिक कष्टों की वजह से एकांत में रहने पर विवश होने के कारण यूं ही समय व्यतीत करने के लिए सर्वप्रथम एक गजल की चार पंक्तियां लिखी जिसको तकरीबन दस दिनों बाद दोबारा पढ़ने के लिए यूं ही देखने लगा तो न जाने कहा से जेहन में लफ्ज़ आते गए और मैंने उस गजल को चौबीस पंक्तियों में लिख डाला। आगे बात करते हुए मेराज़ मुस्तफा ने कहा कि पहली बार लिखी गई गजल को लगभग एक महीनों तक पड़ता रहा और उसमें जहां भी कोई गलती दिखाई पड़ती तो उसको संसोधित कर पुनः नए सिरे से लिखता और यह सिलसिला लगभग डेढ़ माह तक चला उसके बाद फिर कलम पकड़ी तो कई विषयों पर छोटे-छोटे लेख इत्यादि लिखा जो बाद में कई समाचार पत्रों में प्रकाशित हुए जिससे काफी हौंसला आफजाई हुई। युवा रचनाकार व ग्राम प्रधान मेराज़ मुस्तफा ने बताया कि सही मायनों में इस वर्ष जून माह में जब दोबारा कलम पकड़ी तो एक-एक करते पांच माह से भी कम अन्तराल में लगभग दो सौ से अधिक गजल , कविता , नज्म व कई विषयों पर सैकड़ों लेख लिख डाले लेकिन यह सब कैसे लिखा मुझे स्वयं नही पता बस जैसे खुदा स्वयं कलम की रोशनाई से लफ़्जों को कागज पर उतारते गए वरना मैं कभी भी सोच नही सकता था कि मैं गजल या कविता भी लिख सकता हूं। मेराज़ मुस्तफा ने बात करते हुए कहा कि उन्होंने जितना कुछ भी लिखा है सब अल्लाह की रजा और अल्लाह की ही इनायत है वह चाहे तो मिट्टी को भी सोना बना दे और सोने को मिट्टी में तब्दील कर दे। मेराज़ मुस्तफा के द्वारा लिखे गए गजलों , कविताओं का प्रकाशन भी शीघ्र ही होने वाला है जिसके लिए मुद्रक व प्रकाशक छह माह का समय दे रहे थे परन्तु मेराज़ मुस्तफा के मित्र दीपक सैनी के सहयोग से प्रकाशक ने शीघ्र ही प्रकाशन का आश्वासन दिया है। मेराज़ मुस्तफा के गजलों व कविताओं का संग्रह एक काव्य संग्रह "अधूरे ख़्वाब भरे किरदार" के रूप में जल्द ही हमारे सामने होगा जिसमें अपनी कलम के जरिए जान फूंकने का काम मेराज़ मुस्तफा ने चंद ही समय में किया है अविश्वसनीय लगता है लेकिन इस अविश्वसनीय को हकीकत का रूप तो मिल ही चुका है जिसपर फिर मेराज़ मुस्तफा वही बात दोहराते हैं कि सब अल्लाह की देन ही है वरना शारिरिक रूप से अस्वस्थ होने के बाद कभी उम्मीद भी नही की थी कि लेख ,गजल अथवा कविता भी लिख सकता हूं। मेराज़ मुस्तफा से बात करने के दौरान जब उनसे उनके द्वारा लिखी गई पसंदीदा रचना की बात की गई तो मुस्कुराहट के साथ मेराज़ मुस्तफा ने जवाब दिया कि जब अल्लाह ने एक कलम के जरिए मुझसे इतना सब लिखवा दिया तो वह सब ही मेरी पसंदीदा रचनाए होंगी। मेराज़ मुस्तफा के द्वारा लिखी गई एक रचना आप सभी के समक्ष पेश है उम्मीद है आप सभी को पसंद आएगी और मेराज़ मुस्तफा को आप सभी का प्यार , स्नेह व सम्मान मिलता रहेगा । ईश्वर मेराज़ मुस्तफा को स्वस्थ रखें ताकि उनके लेख व गजल हम सभी के सामने आते रहे यही कामना है।

देखें हैं कैसे-कैसे अजब रंग इस जहान में,
वरना पहले एक ही रंग था वो भी आसमान में।

गुरूर वह भी हद से ज्यादा लोग करते हैं किस बात पर,
गुजर जाती है उम्र तामीर करते हुए इक छोटे से मकान में।

कुचल कर रिश्तों को दौड़ता है दिन-रात दौलत शोहरत ऐश ओ आराम के लिए,
बेखबर को बता दो जाकर यह खबर कि नही आएगा काम यह सब हश्र के मैदान में,
अश्कों यूं सरेआम सबके सामने छलककर मत कुरेद जख्मों को 'मेराज़' के,
सम्भला हूं बड़ी मुश्किल से ख्वाहिशों को दफन कर दिल के कब्रिस्तान में।
Tuesday, December 25, 2018

कोर्ट में पेश नहीं होगा मेहुल चोकसी, कहा- 41 घंटे लंबा सफर नहीं कर सकता


गीतांजलि ग्रुप के चेयरमैन और पीएनबी स्कैम के आरोपियों में से एक मेहुल चोकसी ने बॉम्बे कोर्ट में एक जवाब दाखिल कर कहा है कि वो पेशी के लिए अपनी सेहत के चलते 41 घंटे का सफर नहीं कर सकता। प्रवर्तन निदेशालय उसके खिलाफ केस देख रहा है। चोकसी की ओर से कोर्ट में ये जवाब दिया गया है।

स्पेशल प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्डरिंग एक्ट कोर्ट में चोकसी की ओर से बताया गया है कि वो पंजाब नेशनल बैंक से लगातार संपर्क है, ताकि अपने लोन का मामला निपटा सके। चोकसी ने ईडी पर आरोप भी लगाया कि ईडी ने जानबूझकर ये जानकारी कोर्ट के सामने नहीं रखी, ताकि उसे गुमराह किया जा सके।

बता दें कि गीतांजलि ग्रुप का चेयरमैन मेहुल चोकसी इस 13,500 करोड़ के स्कैम के मुख्य आरोपियों में से एक है। इसके अलावा नीरव मोदी ज्वैलर्स का मालिक और उसका भतीजा नीरव मोदी पर भी इसमें शामिल होने का आरोप है। दोनों देश से भाग चुके हैं। वहीं, चोकसी ने एंटीगा की नागरिकता भी ले रखी है। अक्टूबर में ईडी ने दोनों की भारत और विदेशों में उनकी कुल 218 करोड़ की संपत्ति को जब्त कर लिया था। दोनों ये स्कैम सामने आने से पहले ही जनवरी में देश छोड़ चुके थे।

सीबीआई के आग्रह पर दोनों के खिलाफ इंटरपोल ने रेड कॉर्नर नोटिस जारी कर रखा है। इस नोटिस का मतलब है कि अब इंटरपोल के 192 सदस्य देश अपनी सीमा में नजर आने वाले चोकसी को हिरासत में ले सकते हैं और उसे भारत को प्रत्यर्पित कर सकते हैं।

नीरव मोदी और चोकसी के केस की जांच सीबीआई और ईडी दोनों कर रहे हैं। सीबीआई ने 15 फरवरी को मोदी और अन्य के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराया था, जिसके बाद ईडी मनी लॉन्डरिंग के केस की जांच कर रही है। दोनों आरोपियों के खिलाफ गैर जमानती वारंट भी जारी किया जा चुका है।